स्रोतों के प्रकार और इतिहास का निर्माण

इतिहास के स्रोत - पुरातात्विक और साहित्यिक साक्ष्य | UPSC ब्लॉग

कभी आपने सोचा है कि हमें हमारे इतिहास के बारे में जानकारी मिली कैसे? आज जो कुछ भी हम इतिहास के बारे में पढ़ते हैं, उसकी जानकारी हमें कैसे मिली? सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक काल, गुप्त काल, मौर्य काल आदि की जानकारी हमारे इतिहासकारों को कैसे मिली? ये सब जानना हमारे लिए बेहद जरूरी है क्योंकि जब हम अपने अतीत को जानते हैं, तभी हम अपने वर्तमान को बेहतर बना सकते हैं और भविष्य की दिशा तय कर सकते हैं।

आज के समय में तो हम अपने इतिहास को दस्तावेजों के रूप में, किताबों में, डिजिटल फॉर्म में या हार्ड-कॉपी के रूप में सुरक्षित रख सकते हैं, लेकिन पहले के समय में जब हम आदिमानव थे, जब हमें लिखना-पढ़ना भी नहीं आता था, तब भी हमारे इतिहासकारों को उस समय की जानकारी कैसे प्राप्त हुई? यह सवाल अपने आप में बहुत बड़ा है, और आज के इस ब्लॉग में हम इसी महत्त्वपूर्ण विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

🔍 स्रोतों के प्रकार- इतिहास जानने के दो प्रमुख आधार

हमारे इतिहास को जानने और समझने के दो प्रमुख स्रोत होते हैं, और इन्हीं के आधार पर इतिहासकारों ने बीते समय की झलक हम तक पहुंचाई है। ये दोनों स्रोत हैं:

  1. पुरातात्विक साक्ष्य
  2. साहित्यिक साक्ष्य

Read more

ब्रिटिश और भारतीय दृष्टिकोण से इतिहास का अध्ययन

भारतीय इतिहास का काल-विभाजन — प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक काल की समय-रेखा (Timeline)

भारत का इतिहास एक सहज लेकिन गहराई से समझने वाला –

भारतीय इतिहास का वर्गीकरण– हमारे भारत देश का इतिहास बेहद विस्तृत और जटिल है, लेकिन इसे समझने  और लोगों को समझाने के लिए इतिहासकारों ने इसे तीन प्रमुख कालखंडों में बाँटा है-

1. प्राचीन इतिहास

2. मध्यकालीन इतिहास

3. आधुनिक इतिहास

अब आप सोच रहे होंगे कि – इतिहास तो एक ही है, फिर इसमें ये अलग-अलग नामों और कालों की ज़रूरत क्यों पड़ी? क्या कोई ऐसा बिंदु था जहाँ कुछ ऐसा बदला, कि हमें कहना पड़ा  “अब यह मध्यकाल है”,  या  “अब आधुनिक युग शुरू हो गया है” ।

इसका उत्तर जानने के लिए हमें थोड़ी देर के लिए इतिहास के अध्यापन और लेखन की प्रक्रिया को समझना होगा।


Read more