प्राचीन भारतीय इतिहास : एक झरोखा अतीत की ओर

प्राचीन भारतीय इतिहास के तीन काल – प्रागैतिहासिक, आद्य ऐतिहासिक और ऐतिहासिक का चित्रात्मक दृश्य

भारत का इतिहास जितना पुराना है, उतना ही रहस्यमय और रोमांचक भी है। जब हम अपने अतीत की परतें खोलते हैं, तो हमें न केवल पुरानी सभ्यताओं की झलक मिलती है, बल्कि यह भी समझ आता है कि आज की आधुनिकता की नींव कितनी गहरी जमी हुई है। भारतीय इतिहास का विभाजन आमतौर पर तीन प्रमुख भागों में किया गया है – प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक। इन तीनों में से प्राचीन इतिहास वह दौर है, जब सभ्यताओं का उद्भव हुआ, सामाजिक संरचनाएं बनीं और हम सब ने पहली बार अपने अस्तित्व को आकार देना शुरू किया।

प्राचीन इतिहास की बात करें, तो यह वह समय है जबसे इतिहास की शुरुआत हुई मानी जाती है तब से लेकर और यह लगभग 700 ईस्वी (A.D.) तक फैला हुआ है। इस काल को समझने और अध्ययन को सरल बनाने के लिए हमारे इतिहासकारों ने इसे तीन भागों में बाँटा है –

  1. प्रागैतिहासिक काल
  2. आद्य ऐतिहासिक काल
  3. ऐतिहासिक काल

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अब एक सवाल स्वाभाविक रूप से आपके मन में आएगा – आखिर हम इस तरह विभाजन क्यों करते हैं?
तो इसका उत्तर बड़ा ही आसान है – इतिहास को जानने के जो स्रोत (sources) होते हैं, उनके आधार पर ही हम इन कालों को वर्गीकृत करते हैं। हमारे इतिहास के अलग-अलग समय में सभ्यताओं की जानकारी हमें लिखित, पुरातात्विक (archaeological) या अन्य माध्यमों से मिलती है। इन्हीं के अनुसार हम यह तय करते हैं कि वह समय कौन-से काल में आएगा।

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भारतीय इतिहास का काल-विभाजन — प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक काल की समय-रेखा (Timeline)

भारत का इतिहास एक सहज लेकिन गहराई से समझने वाला –

हमारे भारत देश का इतिहास बेहद विस्तृत और जटिल है, लेकिन इसे समझने  और लोगों को समझाने के लिए इतिहासकारों ने इसे तीन प्रमुख कालखंडों में बाँटा है-

1. प्राचीन इतिहास

2. मध्यकालीन इतिहास

3. आधुनिक इतिहास

अब आप सोच रहे होंगे कि – इतिहास तो एक ही है, फिर इसमें ये अलग-अलग नामों और कालों की ज़रूरत क्यों पड़ी? क्या कोई ऐसा बिंदु था जहाँ कुछ ऐसा बदला, कि हमें कहना पड़ा  “अब यह मध्यकाल है”,  या  “अब आधुनिक युग शुरू हो गया है” ।

इसका उत्तर जानने के लिए हमें थोड़ी देर के लिए इतिहास के अध्यापन और लेखन की प्रक्रिया को समझना होगा।


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