सोचो, आज हम 2025 में जी रहे हैं। लेकिन क्या इसका मतलब ये है कि इतिहास भी सिर्फ 2025 साल ही पुराना है??? 🤔
नहीं न! ये सिर्फ एक कालक्रम का point है, एक data है जो हमें बताता है कि ईसा मसीह के जन्म के बाद 2025 साल हो गए हैं। तो उसके पहले का क्या ??
अब अगर हम archaeological evidence देखें, तो हमें ऐसी ऐसी चीजें मिलती हैं जो 2000 साल, 5000 साल, यहां तक कि 2 लाख साल पहले की मानव सभ्यता और उनके बिकास, उनके रहन-सहन की कहानी बताते हैं।
मतलब कि, 2025 सिर्फ एक रजिस्ट्रेशन नंबर की तरह है (असली गाड़ी तो बहुत पहले से चल रही थी।)
यही जानकारी है कालक्रम — समय को समझने का तरीका
2025– एक समय या बस डेटा?
तो मान लो 2025 एक data है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि सब कुछ यहीं से शुरू हुआ। इसके पीछे भी काफी चीजें हुई है जो हमारे इतिहास का हिस्सा है।
अगर कोई कहे कि अभी 2025 चल रहा है, तो हमें ये समझना चाहिए कि ये सिर्फ ईसा मसीह के जन्म से गिने गए सालों की गिनती (ईशा मसीह का जन्म •, 1, 2, 3,….. . 2025) है। सही मायने में तो इंसान की कहानी इससे कहीं ज्यादा पुरानी है।
अब बात करते हैं कैलेंडर की –अखिर कौन तय करता है कालक्रम?
1. ग्रेगोरियन कैलेंडर-
आज जो हम सब जनवरी, फरवरी, मार्च… ऐसे 12 महीने देखते हैं, वो इसी कैलेंडर से आते हैं।
इसमें साल की शुरुआत जनवरी से होती है और दिसंबर पर खत्म होती है।
यह कैलेंडर ईसा मसीह के जन्म के हिसाब से चलता है।
यानी A.D. = Anno Domini (ईसा के बाद),
और B.C. = Before Christ (ईसा से पहले)।
👉 जैसे 100 B.C. का मतलब हुआ – ईसा से 100 साल पहले (ईसा पूर्व)
👉 और 2025 A.D. का मतलब हुआ – ईसा से 2025 साल बाद (ई. वी. )
2. शक संवत और भारतीय पंचांग-
भारत में शक-संवत, विक्रम-संवत, और हिजरी कैलेंडर भी उपयोग में लिए जाते हैं
जैसे भारत सरकार के सरकारी दस्तावेजों में शक संवत को भी मान्यता मिली है।
इसमें महीनों के नाम जैसे — चैत्र, वैशाख, आषाढ़…., आदि होते हैं।
ये लोकल कल्चर और ज्योतिष के आधार पर बने हैं।
हमारे लिए इतिहास में कालक्रम क्यों जरूरी है?
मान लो तुम्हें कहा जाए , पता करो कि अशोक सम्राट पहले हुए या अकबर, तो तुम दोनों की तुलना कैसे करोगे?
Timeline से हमें ये समझ आता है-
कि-
कौन पहले हुआ, कौन बाद में?
कौन-सी सभ्यता किसके बाद आई?
किस घटना के बाद कौन-सी दूसरी घटना घटी?
समय के साथ हम सबका विकास कैसे हुआ?
Timeline बनाई कैसे जाती है?
1. पुरातत्व से मिले अवशेषों से
2. सिक्के, हड्डियाँ, मूर्तियाँ, शिलालेख
3. कार्बन डेटिंग से चीजों की उम्र पता लगाई है
4. विदेशी यात्रियों की किताबें भी समय को समझने मे मदद करती हैं
निष्कर्ष-
तो अब जब भी कोई भी बोले कि “अभी तो 2025 चल रहा है”, तो तुम ये सोचो कि–
“हां, ये तो बस एक चश्मा है जिससे हम टाइम देख रहे हैं, लेकिन असली इतिहास इससे बहुत पुराना है।”
इतिहास को सही से समझना है तो कालक्रम को समझना बहोत ज्यादा जरूरी है। तभी तो पता चलेगा कि हम कहां से आए हैं और कहां तक पहुंचे हैं। आगे कहाँ जाना ठीक रहेगा और भी बहुत कुछ….
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