जब हम भारत के प्राचीन इतिहास की बात करते हैं, तो यह केवल तारीखों और राजाओं की सूची नहीं है। यह हमारी पहचान, संस्कृति, परंपराएं और सोच की जड़ है। हम सबने कभी न कभी इतिहास पढ़ा है, लेकिन क्या आप सच में जानते हैं कि प्राचीन भारत का महत्व आज के समय में कितना गहरा है? आइए, हम और आप मिलकर इस विषय की गहराई में उतरते हैं।
प्राचीन भारत
प्राचीन भारतीय इतिहास : एक झरोखा अतीत की ओर
भारत का इतिहास जितना पुराना है, उतना ही रहस्यमय और रोमांचक भी है। जब हम अपने अतीत की परतें खोलते हैं, तो हमें न केवल पुरानी सभ्यताओं की झलक मिलती है, बल्कि यह भी समझ आता है कि आज की आधुनिकता की नींव कितनी गहरी जमी हुई है। भारतीय इतिहास का विभाजन आमतौर पर तीन प्रमुख भागों में किया गया है – प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक। इन तीनों में से प्राचीन इतिहास वह दौर है, जब सभ्यताओं का उद्भव हुआ, सामाजिक संरचनाएं बनीं और हम सब ने पहली बार अपने अस्तित्व को आकार देना शुरू किया।
प्राचीन इतिहास की बात करें, तो यह वह समय है जबसे इतिहास की शुरुआत हुई मानी जाती है तब से लेकर और यह लगभग 700 ईस्वी (A.D.) तक फैला हुआ है। इस काल को समझने और अध्ययन को सरल बनाने के लिए हमारे इतिहासकारों ने इसे तीन भागों में बाँटा है –
- प्रागैतिहासिक काल
- आद्य ऐतिहासिक काल
- ऐतिहासिक काल
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अब एक सवाल स्वाभाविक रूप से आपके मन में आएगा – आखिर हम इस तरह विभाजन क्यों करते हैं?
तो इसका उत्तर बड़ा ही आसान है – इतिहास को जानने के जो स्रोत (sources) होते हैं, उनके आधार पर ही हम इन कालों को वर्गीकृत करते हैं। हमारे इतिहास के अलग-अलग समय में सभ्यताओं की जानकारी हमें लिखित, पुरातात्विक (archaeological) या अन्य माध्यमों से मिलती है। इन्हीं के अनुसार हम यह तय करते हैं कि वह समय कौन-से काल में आएगा।