उपनिषद: अर्थ, दर्शन, महावाक्य और नैतिक मूल्य”

उपनिषदों में न केवल आध्यात्मिक ज्ञान है बल्कि सामाजिक और नैतिक जीवन के लिए भी गहरे संदेश छिपे हैं। सत्य, अहिंसा, करुणा और ब्रह्मचर्य जैसे सिद्धांत मानवता और सार्वभौमिकता की भावना को प्रकट करते हैं। आइए जानते हैं उपनिषदों में शिक्षा, गुरु-शिष्य परंपरा और नैतिक जीवन के आदर्शों के बारे में विस्तार से।

वेदों का विभाजन कब, क्यों और कैसे हुआ???

वेदों का विभाजन – ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद का प्रतीकात्मक चित्र

वेद हमारी संस्कृति की जड़ हैं, जो केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं बल्कि जीवन, समाज और ज्ञान की धरोहर हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वेदों का विभाजन कब, क्यों और कैसे हुआ? महर्षि वेदव्यास ने द्वापर युग के अंत और कलियुग की शुरुआत में वेदों को चार भागों में विभाजित किया—ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद। इसका कारण था वेदों की विशालता, जटिल यज्ञ-विधियाँ और लोगों की घटती स्मरण शक्ति। इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे कि वेदों का संकलन कैसे हुआ, उनका मौखिक परंपरा से लिखित रूप तक का सफर कैसा रहा और इनका धार्मिक, सामाजिक तथा शैक्षिक महत्व क्या है।

वेदों की दुनिया: जानिए चारों वेदों का रहस्य और महत्व

चार वेदों का निर्माण और स्वरूप - ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद

चार वेदों का निर्माण और स्वरूप जानिए – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की शाखाएं, रचनाकाल, विषय-वस्तु और बचे हुए ग्रंथों की संपूर्ण जानकारी।

ऋचा, सूक्त और संहिता – वैदिक साहित्य की नींव

संहिता और वेदों की पांडुलिपि - प्राचीन भारतीय इतिहास

संहिता वेदों का मूल हिस्सा हैं जिनमें मंत्र और ऋचाएँ संग्रहित हैं। इस ब्लॉग में हम संहिताओं का अर्थ, महत्व और भारतीय इतिहास में उनकी भूमिका को विस्तार से समझेंगे।

लौकिक साहित्य – काव्य, महाकाव्य, गद्य, इतिहास और विज्ञान | Sanskrit Literature Notes for Exams

लौकिक साहित्य | संस्कृत काव्य, महाकाव्य, गद्य, ऐतिहासिक ग्रंथ और विज्ञान गणित साहित्य

इस ब्लॉग में हमने संस्कृत लौकिक साहित्य के सभी महत्वपूर्ण पक्षों को शामिल किया है – काव्य, महाकाव्य, गद्य साहित्य, ऐतिहासिक ग्रंथ और विज्ञान व गणित संबंधी रचनाएँ। यह सामग्री परीक्षा दृष्टि से बेहद उपयोगी है और विद्यार्थियों को त्वरित पुनरावलोकन में मदद करेगी।

लौकिक साहित्य – हमारी ज़िंदगी, समाज और सोच (Final part)A

लौकिक साहित्य – प्राचीन भारतीय साहित्य और गुरुकुल शिक्षा का दृश्य

लौकिक साहित्य प्राचीन भारतीय संस्कृति का दर्पण है। इसमें आयुर्वेद, धर्म, राजनीति, नीति, और शिक्षा से जुड़े ग्रंथों का वर्णन मिलता है। इस लेख में हम चरक संहिता, अर्थशास्त्र, पंचतंत्र, चाणक्य नीति और भर्तृहरि के नीतिशतक जैसे अमूल्य ग्रंथों को सरल भाषा में समझेंगे।

लौकिक साहित्य – प्राचीन भारत का सांस्कृतिक इतिहास (Part 2)

नीति साहित्य का योगदान, चाणक्य नीति और अर्थशास्त्र – प्राचीन भारतीय इतिहास

इस ब्लॉग के Part 2 में हम जानेंगे कि लौकिक साहित्य की विभिन्न विधाएँ जैसे महाकाव्य, पुराण, नाटक, कथाएँ, नीति साहित्य और विज्ञान से प्राचीन भारत के समाज, राजनीति, संस्कृति और ज्ञान पर क्या प्रभाव पड़ा। यह लेख UPSC और इतिहास के छात्रों के लिए विशेष उपयोगी है।

लौकिक साहित्य – प्राचीन भारत का सांस्कृतिक इतिहास (Part 1)

लौकिक साहित्य प्राचीन भारत का सांस्कृतिक इतिहास, रामायण, महाभारत, पुराण, नाटक, कथाएँ और नीति साहित्य

लौकिक साहित्य प्राचीन भारत की समाज, राजनीति, संस्कृति, कला और विज्ञान की झलक प्रस्तुत करता है। इस ब्लॉग में हम रामायण, महाभारत, पुराण, नाटक, कथाएँ, नीति साहित्य और वैज्ञानिक ग्रंथों के माध्यम से जानेंगे कि लौकिक साहित्य ने इतिहास लिखने में कितना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

🕉️ वेद और वैदिक साहित्य – प्राचीन भारत का ज्ञानकोष

वेद और वैदिक साहित्य UPSC Notes in Hindi | चार वेद, ब्राह्मण, उपनिषद

नमस्कार दोस्तों, हमने अपने पुराने ब्लॉग्स में सिक्कों, शिलालेखों और ताम्रपत्र जैसे स्रोतों के बारे में पढ़ा था। आज हम पढने वाले हैं –वेद और वैदिक साहित्य के बारे में। अब जरा खुद सोचिए – अगर हम अपने प्राचीन समाज, संस्कृति और धर्म की गहराई को समझना हो तो, क्या सिर्फ पत्थरों पर लिखी बातें … Read more

इतिहास के स्रोत – भाग 2 (प्राचीन भारत के सुराग)

पुरातात्विक और साहित्यिक साक्ष्य

🔰 इंट्रो——

पिछली बार वाले ब्लॉग (भाग 1-  पुरातात्विक और साहित्यिक साक्ष्य) में ये तो क्लियर हो गया था कि इतिहास सिर्फ दादी-नानी की कहानियाँ या पौराणिक चमत्कारों का पिटारा नहीं है। असली बात तो ये है कि इतिहास जैसा कुछ है, तो वो है सबूतों के दम पर – चाहे वो किताबों में छिपा हो या ज़मीन के नीचे। हमने वहाँ पर ये भी समझा था कि साहित्यिक और पुरातात्विक स्रोत कितने ज़रूरी हैं इतिहास को समझने के लिए।

अब इस बार (भाग 2) में थोड़ा और गहराई में चलते हैं – जैसे कि टीला आखिर है क्या बला, खुदाई-फुदाई होती कैसे है, साइंटिफिक टेस्टिंग का क्या रोल है, और कैसे सिक्के, ताम्रपत्र, शिलालेख या वेद-पुराण वगैरह हमें अपने इतिहास से जोड़ते हैं।

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