लौकिक साहित्य – काव्य, महाकाव्य, गद्य, इतिहास और विज्ञान | Sanskrit Literature Notes for Exams

लौकिक साहित्य | संस्कृत काव्य, महाकाव्य, गद्य, ऐतिहासिक ग्रंथ और विज्ञान गणित साहित्य

इस ब्लॉग में हमने संस्कृत लौकिक साहित्य के सभी महत्वपूर्ण पक्षों को शामिल किया है – काव्य, महाकाव्य, गद्य साहित्य, ऐतिहासिक ग्रंथ और विज्ञान व गणित संबंधी रचनाएँ। यह सामग्री परीक्षा दृष्टि से बेहद उपयोगी है और विद्यार्थियों को त्वरित पुनरावलोकन में मदद करेगी।

लौकिक साहित्य – हमारी ज़िंदगी, समाज और सोच (Final part)A

लौकिक साहित्य – प्राचीन भारतीय साहित्य और गुरुकुल शिक्षा का दृश्य

लौकिक साहित्य प्राचीन भारतीय संस्कृति का दर्पण है। इसमें आयुर्वेद, धर्म, राजनीति, नीति, और शिक्षा से जुड़े ग्रंथों का वर्णन मिलता है। इस लेख में हम चरक संहिता, अर्थशास्त्र, पंचतंत्र, चाणक्य नीति और भर्तृहरि के नीतिशतक जैसे अमूल्य ग्रंथों को सरल भाषा में समझेंगे।

लौकिक साहित्य – प्राचीन भारत का सांस्कृतिक इतिहास (Part 2)

नीति साहित्य का योगदान, चाणक्य नीति और अर्थशास्त्र – प्राचीन भारतीय इतिहास

इस ब्लॉग के Part 2 में हम जानेंगे कि लौकिक साहित्य की विभिन्न विधाएँ जैसे महाकाव्य, पुराण, नाटक, कथाएँ, नीति साहित्य और विज्ञान से प्राचीन भारत के समाज, राजनीति, संस्कृति और ज्ञान पर क्या प्रभाव पड़ा। यह लेख UPSC और इतिहास के छात्रों के लिए विशेष उपयोगी है।

लौकिक साहित्य – प्राचीन भारत का सांस्कृतिक इतिहास (Part 1)

लौकिक साहित्य प्राचीन भारत का सांस्कृतिक इतिहास, रामायण, महाभारत, पुराण, नाटक, कथाएँ और नीति साहित्य

लौकिक साहित्य प्राचीन भारत की समाज, राजनीति, संस्कृति, कला और विज्ञान की झलक प्रस्तुत करता है। इस ब्लॉग में हम रामायण, महाभारत, पुराण, नाटक, कथाएँ, नीति साहित्य और वैज्ञानिक ग्रंथों के माध्यम से जानेंगे कि लौकिक साहित्य ने इतिहास लिखने में कितना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

🕉️ वेद और वैदिक साहित्य – प्राचीन भारत का ज्ञानकोष

वेद और वैदिक साहित्य UPSC Notes in Hindi | चार वेद, ब्राह्मण, उपनिषद

नमस्कार दोस्तों, हमने अपने पुराने ब्लॉग्स में सिक्कों, शिलालेखों और ताम्रपत्र जैसे स्रोतों के बारे में पढ़ा था। आज हम पढने वाले हैं –वेद और वैदिक साहित्य के बारे में। अब जरा खुद सोचिए – अगर हम अपने प्राचीन समाज, संस्कृति और धर्म की गहराई को समझना हो तो, क्या सिर्फ पत्थरों पर लिखी बातें … Read more

प्राचीन भारत में शिलालेख | Inscriptions in Ancient India

भारतीय शिलालेख – Ancient Indian Inscriptions

हमने अपने पिछले blogs में सिक्के और ताम्रपत्र के बारे में विस्तार से बात की थी। अब बारी है एक और बेहद महत्वपूर्ण स्रोत की –शिलालेख।आपको यह तो पता होगा कि जब भी इतिहास पर चर्चा होती है, तो हमारे दिमाग में यह सवाल जरूर आता है कि आखिर इतिहासकारों को इतनी पुरानी घटनाओं की … Read more

प्राचीन भारत में ताम्रपत्र – महत्व और उदाहरण

हम सभी अपने देश के गौरवशाली अतीत पर गर्व करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमें यह जानकारी मिली कैसे? हमारे पूर्वजों के जीवन , उनकी नीतियों , उनके शासन , उनके समाज के बारे में हम आज कैसे जान पाते हैं?हमने अपने पुराने blog में ही बताया है कि हमारे इतिहास … Read more

इतिहास के स्रोत – भाग 2 (प्राचीन भारत के सुराग)

पुरातात्विक और साहित्यिक साक्ष्य

🔰 इंट्रो——

पिछली बार वाले ब्लॉग (भाग 1-  पुरातात्विक और साहित्यिक साक्ष्य) में ये तो क्लियर हो गया था कि इतिहास सिर्फ दादी-नानी की कहानियाँ या पौराणिक चमत्कारों का पिटारा नहीं है। असली बात तो ये है कि इतिहास जैसा कुछ है, तो वो है सबूतों के दम पर – चाहे वो किताबों में छिपा हो या ज़मीन के नीचे। हमने वहाँ पर ये भी समझा था कि साहित्यिक और पुरातात्विक स्रोत कितने ज़रूरी हैं इतिहास को समझने के लिए।

अब इस बार (भाग 2) में थोड़ा और गहराई में चलते हैं – जैसे कि टीला आखिर है क्या बला, खुदाई-फुदाई होती कैसे है, साइंटिफिक टेस्टिंग का क्या रोल है, और कैसे सिक्के, ताम्रपत्र, शिलालेख या वेद-पुराण वगैरह हमें अपने इतिहास से जोड़ते हैं।

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प्राचीन भारतीय सिक्के(इतिहास की धातु में गढ़ी कहानियाँ)

प्राचीन भारतीय सिक्के - इतिहास, प्रकार और महत्व

प्राचीन भारतीय सिक्के: मौर्य, गुप्त और हिन्द-यवन से लेकर कुषाण तक — प्रकार, प्रतीक और उनसे मिली ऐतिहासिक जानकारी संक्षेप में जानें। और पढ़ें।

प्राचीन भारतीय इतिहास के आधुनिक लेखक – जब हमने अपने अतीत को फिर से देखा

हम सब जानते हैं कि भारत का इतिहास अत्यंत समृद्ध है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि प्राचीन भारत के इतिहास को आधुनिक ढंग से किसने लिखा? किसने हमारी पुरानी परंपराओं, शास्त्रों और सभ्यता को शोध और प्रमाणों के साथ दुनिया के सामने रखा?

आज हम उन्हीं लेखकों की बात करेंगे, जिन्होंने भारत के अतीत को समझने और समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


प्राचीन भारतीय इतिहास के लेखक शुरुआत कहां से हुई?

हमारे शिक्षित पूर्वजों ने महाकाव्य, पुराणों और जीवन चरित्रों जैसे ग्रंथों में इतिहास को सहेज कर रखा था। लेकिन आधुनिक ढंग से अनुसंधान की शुरुआत अठारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध (18वीं सदी का दूसरा भाग 1750-1800) से हुई।


औपनिवेशिक (ब्रिटिश) दृष्टिकोण और उनका योगदान

1765 से 1857 के बीच की बात करें तो…

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