🔰 इंट्रो——
पिछली बार वाले ब्लॉग (भाग 1-  पुरातात्विक और साहित्यिक साक्ष्य) में ये तो क्लियर हो गया था कि इतिहास सिर्फ दादी-नानी की कहानियाँ या पौराणिक चमत्कारों का पिटारा नहीं है। असली बात तो ये है कि इतिहास जैसा कुछ है, तो वो है सबूतों के दम पर – चाहे वो किताबों में छिपा हो या ज़मीन के नीचे। हमने वहाँ पर ये भी समझा था कि साहित्यिक और पुरातात्विक स्रोत कितने ज़रूरी हैं इतिहास को समझने के लिए।
अब इस बार (भाग 2) में थोड़ा और गहराई में चलते हैं – जैसे कि टीला आखिर है क्या बला, खुदाई-फुदाई होती कैसे है, साइंटिफिक टेस्टिंग का क्या रोल है, और कैसे सिक्के, ताम्रपत्र, शिलालेख या वेद-पुराण वगैरह हमें अपने इतिहास से जोड़ते हैं।
इतिहास लेखन
🕉️ वेद और वैदिक साहित्य – प्राचीन भारत का ज्ञानकोष
नमस्कार दोस्तों, हमने अपने पुराने ब्लॉग्स में सिक्कों, शिलालेखों और ताम्रपत्र जैसे स्रोतों के बारे में पढ़ा था। आज हम पढने वाले हैं –वेद और वैदिक साहित्य के बारे में। अब जरा खुद सोचिए – अगर हम अपने प्राचीन समाज, संस्कृति और धर्म की गहराई को समझना हो तो, क्या सिर्फ पत्थरों पर लिखी बातें … Read more
प्राचीन भारत में शिलालेख | Inscriptions in Ancient India
हमने अपने पिछले blogs में सिक्के और ताम्रपत्र के बारे में विस्तार से बात की थी। अब बारी है एक और बेहद महत्वपूर्ण स्रोत की –शिलालेख।आपको यह तो पता होगा कि जब भी इतिहास पर चर्चा होती है, तो हमारे दिमाग में यह सवाल जरूर आता है कि आखिर इतिहासकारों को इतनी पुरानी घटनाओं की … Read more
प्राचीन भारत में ताम्रपत्र – महत्व और उदाहरण
हम सभी अपने देश के गौरवशाली अतीत पर गर्व करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमें यह जानकारी मिली कैसे? हमारे पूर्वजों के जीवन , उनकी नीतियों , उनके शासन , उनके समाज के बारे में हम आज कैसे जान पाते हैं?हमने अपने पुराने blog में ही बताया है कि हमारे इतिहास … Read more
इतिहास के स्रोत – भाग 2 (प्राचीन भारत के सुराग)
प्राचीन भारतीय इतिहास के आधुनिक लेखक – जब हमने अपने अतीत को फिर से देखा
हम सब जानते हैं कि भारत का इतिहास अत्यंत समृद्ध है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि प्राचीन भारत के इतिहास को आधुनिक ढंग से किसने लिखा? किसने हमारी पुरानी परंपराओं, शास्त्रों और सभ्यता को शोध और प्रमाणों के साथ दुनिया के सामने रखा?
आज हम उन्हीं लेखकों की बात करेंगे, जिन्होंने भारत के अतीत को समझने और समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्राचीन भारतीय इतिहास के लेखक शुरुआत कहां से हुई?
हमारे शिक्षित पूर्वजों ने महाकाव्य, पुराणों और जीवन चरित्रों जैसे ग्रंथों में इतिहास को सहेज कर रखा था। लेकिन आधुनिक ढंग से अनुसंधान की शुरुआत अठारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध (18वीं सदी का दूसरा भाग 1750-1800) से हुई।
 
 
 
 
 
 
 
 
