भारत का इतिहास एक सहज लेकिन गहराई से समझने वाला –
हमारे भारत देश का इतिहास बेहद विस्तृत और जटिल है, लेकिन इसे समझने और लोगों को समझाने के लिए इतिहासकारों ने इसे तीन प्रमुख कालखंडों में बाँटा है-
1. प्राचीन इतिहास
2. मध्यकालीन इतिहास
3. आधुनिक इतिहास
अब आप सोच रहे होंगे कि – इतिहास तो एक ही है, फिर इसमें ये अलग-अलग नामों और कालों की ज़रूरत क्यों पड़ी? क्या कोई ऐसा बिंदु था जहाँ कुछ ऐसा बदला, कि हमें कहना पड़ा “अब यह मध्यकाल है”, या “अब आधुनिक युग शुरू हो गया है” ।
इसका उत्तर जानने के लिए हमें थोड़ी देर के लिए इतिहास के अध्यापन और लेखन की प्रक्रिया को समझना होगा।
इतिहास को बाँटने की शुरुआत (ब्रिटिश दृष्टिकोण)–
जब हमारे देश में औपनिवेशिक शासन (Colonial Rule) आया, तो ब्रिटिश इतिहासकारों ने हमारे देश के इतिहास को व्यवस्थित करने और पढ़ाने का काम अपने हाथ में लिया।
वे भारत के इतिहास को अच्छी तरह से समझना चाहते थे जिससे शासन करने में कोई परेशानी न हो और उनके लिए यह भी जरूरी था कि वे भारत के अतीत को लोगों के सामने इस तरह से पेश करें जिससे यह लगे कि ब्रिटिश शासन के आने से ही हमारे देश में “सभ्यता और प्रगति” की शुरूवात हुई है।
इसी सोच के साथ उन्होंने हमारे देश के इतिहास को तीन कालों में बाँटा:
1. हिंदू काल (प्राचीन काल)
2. मुस्लिम काल (मध्यकाल)
3. ब्रिटिश काल (आधुनिक काल)
इस बाँटने का आधार था– हमारे देश में शासन करने वाले शासकों के धर्म, जाति और संस्कृति।
हिंदू काल में ज्यादातर शासक हिंदू धर्म से जुड़े थे।
मुस्लिम काल में दिल्ली सल्तनत और मुगलों जैसे मुस्लिम शासकों का शासन रहा।
ब्रिटिश काल में यूरोपीय शक्तियों का शासन और अंततः अंग्रेज़ों का पूर्ण शासन स्थापित हो गया।
भारतीय इतिहासकारों की प्रतिक्रिया — नाम नहीं, सोच बदल दी।
अब ज़रा आप खुद सोचिए— क्या हमारे देश का इतिहास केवल शासकों के धर्म से तय होता है?
हमारे देश के इतिहासकारों ने इस सोच को नकार दिया।
उन्होंने कहा कि इतिहास को केवल सत्ता और धर्म से बाँटना सही नहीं है।
इसलिए उन्होंने नए नाम दिए–
प्राचीन इतिहास
मध्यकालीन इतिहास
आधुनिक इतिहास
हालाँकि उन्होंने समय-सीमा को ज्यादा नहीं बदला, लेकिन उन्होंने हर काल के पीछे का कारण बदला।
तीनों कालों की समय – सीमा—
अब एक नजर डालते हैं इन कालों की समय-सीमा पर और यह समझते हैं कि किन-किन बातों के आधार पर इन्हें विभाजित किया गया है–
प्राचीन इतिहास अथवा (हिंदू काल)-
यह काल सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर 7वीं शताब्दी A.D. तक फैला हुआ माना जाता है।
इसमें वैदिक काल, महाजनपद, मौर्य, गुप्त वंश, और दक्षिण भारत के चोल-पांड्य जैसे साम्राज्य आते हैं।
ब्रिटिश इतिहासकारों ने इसे हिंदू काल इसलिए कहा क्योंकि इस दौर में अधिकतर लोगों की धार्मिक और सांस्कृतिक धारा वैदिक, बौद्ध या जैन परंपरा से जुड़ी थी।
मध्यकालीन इतिहास ( मुस्लिम काल)-
इसकी शुरुआत मानी जाती है 7वीं शताब्दी से, जब मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर आक्रमण किया।
इसमें दिल्ली सल्तनत, मुग़ल साम्राज्य, बहमनी, विजयनगर जैसे शक्तियों का समय आता है।
ब्रिटिश इतिहासकारों ने इसे मुस्लिम काल कहा, लेकिन भारतीय इतिहासकार इसे दो संस्कृतियों का मिलन और संस्कृतियों का आदान-प्रदान का समय मानते हैं।
आधुनिक इतिहास (ब्रिटिश काल)-
इसकी शुरुआत मानी जाती है 1707 के बाद, जब औरंगज़ेब की मृत्यु हुई और मुग़ल साम्राज्य का धीरे-धीरे पतन होना सुरु हो गया।
इसके बाद देश में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रभाव तेजी से बढ़ा।
लेकिन आधुनिकता का मतलब केवल “ब्रिटिश शासन” नहीं है, भारतीय इतिहासकारों के अनुसार यह वो समय है जब-
भारत में पश्चिमी विचारधाराओं का आवागमन सुरु हुआ
हमारे समाज में कई सुधार आंदोलन हुए
छुआछूत, सती प्रथा, पर्दा प्रथा जैसे मुद्दों पर बहस और इसमे सुधार हुए
राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता जैसी भावनायें विकसित हुई
इसलिए इसे “आधुनिक काल” कहा जाता है — केवल तकनीकी रूप से नहीं, बल्कि विचारो के रूप से भी।
इतिहास को समझने का सही और आसान तरीका क्या हो सकता है?
अपने इतिहास को केवल तारीख़ों और शासन-कालों में बाँट देना आसान है, लेकिन ऐसा करना गहराई से सोचने वाली बात है… .. .
वास्तव में, हमारे इतिहास के हर काल में समाज, संस्कृति, विज्ञान, भाषा, धर्म और राजनीति की कई परतें हैं।
Example –
- प्राचीन काल में केवल धर्म ही नहीं ब्लकि, विज्ञान, गणित (आर्यभट, वराहमिहिर), कला और स्थापत्य का भी विकास हुआ।
- मध्यकाल केवल आक्रमण का समय नहीं, बल्कि भारतीय-इस्लामिक मेल, भक्ति आंदोलन, सूफी परंपरा, और स्थानीय राज्यों का भी काल था।
- आधुनिक काल केवल अंग्रेजों का शासन नहीं, बल्कि बौद्धिक पुनर्जागरण, राजनीतिक चेतना, और स्वतंत्रता संग्राम का काल था।
निष्कर्ष (Conclusion)-
अपने देश का इतिहास केवल एक लकीर नहीं है जिसे समय के साथ तीन टुकड़ों में बाँट दिया जाए। यह एक बहुपरतीय यात्रा है — जिसमें सामाजिक बदलाव, सांस्कृतिक संवाद, और बौद्धिक विकास शामिल हैं।
ब्रिटिश इतिहासकारों ने हमारे इतिहास को जिस नज़र से देखा, वह राजनीतिक सत्ता और धर्म के आधार पर था।
लेकिन भारतीय इतिहासकारों ने उसे समाज और विचारों के परिवर्तन की दृष्टि से देखा — और यही फर्क इतिहास को “हमारा अपना” बनाता है।
✍️UPSC / प्रतियोगी परीक्षा के लिए टिप-
• उत्तर लिखते समय यह ज़रूरी है कि आप केवल “क्या हुआ” न लिखें, बल्कि “क्यों हुआ”, “कैसे देखा गया”, और “उसके क्या प्रभाव पड़े” — ये सभी पहलू शामिल करें।
• तटस्थ शब्दावली, संतुलित दृष्टिकोण और आलोचनात्मक सोच आपके उत्तर को बाकी सभी से अलग बनाती है।
THANKS FOR COMING
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